गजल

1 حصہ

236بار پڑھیں

11 پسند کیا

अब उनके साथ फिरने की हॉबी नहीं रही।  आदत उन्हें मनाने की अपनी नहीं रही।  दिल तोड़ना गुनाहे कबीरा से कम नहीं। दिल जोड़ने को प्रेम की पूंजी नहीं रही।  कितना ...

×