इस पुस्तक की रचना में लेखिका ने अपने विचारों के द्वारा समाज,देश,धर्म,नारी सम्मान,जानवरों के प्रति प्रेम,प्रेरक कविताएं,सच्चा प्रेम,रिश्तों को समझना,गुम होता बच्चपन ,रिश्तों से संबंधित जीवन के उन सारे पहलुओं को दर्शाया है जो आज के समय की मांग है जो किसी व्यक्ति विशेष के लिए ही नहीं वल्कि समाज के हर जाति, धर्म,वर्ग,बच्चों और बड़ों सभी के लिए लाभदायक और प्रेरणा का स्त्रोत है। इन सब के साथ ही साथ लेखिका ने इस पुस्तक में अपने कुछ जज्बातों को, तो कहीं अपने जीवन के अनमोल से एहसासों के साथ जीवन में घटित होने वाले खुशियों तथा ग़मों के पलों को कुछ सब्दों में समेटते हुए इस प्रकार से बयान किया है, की पढ़ते वक्त ऐसा लगेगा जैसे यह आपके जीवन का अपना ही एहसास हो। लेखिका ने अपने रचनाओं को कलम के ज़रिये कोरे कागज़ पर दर्शाया है,स्याही को सब्दों के ज़रिए सजा कर वास्तविकता को देखते हुए "स्वाती स्वरांजलि" किताब का निर्माण किया है।
लेखिका स्वाती चौरसिया का जन्म झारखंड के गिरिडीह जिले में हुआ। यह लेखिका की पहली पुस्तक है इससे पहले लेखिका ने और भी कई anthology पुस्तक में काम किया है। "हौसला अगर बुलंद हो तो हमें कोई हरा नहीं सकता, जीत अपनी होगी हमें कोई डरा नहीं सकता " यह पंक्ति लेखिका के परिचय के लिए बहुत उपयुक्त है।स्वाती चौरसिया एक रीढ़ की हड्डी की मरीज़ है, १२ वी कक्षा के बाद एक दुर्घटना में उसके रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण गर्दन के नीचे का उसका पूरा शरीर लकवाग्रस्त हो गया उसके बाद भी उसने कभी हिम्मत नहीं हारी और आज वह अपने जीवन के मुश्किलों को पीछे छोड़ते हुए अपने संघर्षो से अपने जीवन में आगे बढ़ रही है स्वाती चौरसिया को लिखने में रुचि है और उन्हें चित्रकारी करना भी बहुत अच्छा लगता है, उन्हें पढ़ाई में भी बहुत रुचि है और अभी वह मनोविज्ञान से स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही है,इसके अलावा भी उनके बहुत से सपने है।